इन सर्विस ओफ़ श्रीमद्भागवतम™

di INSS Productions

इन सर्विस ओफ़ श्रीमद्भागवतम™ भगवत पुराण और भगवद गीता के प्राचीन ज्ञान को व्यापक दर्शकों तक फैलाने के मिशन पर हैं।

इन सर्विस ओफ़ श्रीमद्भागवतम™ पॉडकास्ट वेदों से प्रकट ज्ञान प्रदान करता है, जो दुनिया में पारलौकिक विज्ञान का सबसे पुराना और सबसे व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त स्रोत है।

श्रोता वैकल्पिक दिनों में कहीं से भी नवीनतम एपिसोड में ट्यून कर सकते हैं, जहां से उन्हें अपना पॉड ... 

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Episodi del podcast

  • Stagione 5

  • संपूर्ण चैतन्य लीला | श्रील गौर कृष्ण दास गोस्वामी | 11. चैतन्य-भगवतम (आदि 14-16) | भक्तों पर कृपा

    संपूर्ण चैतन्य लीला | श्रील गौर कृष्ण दास गोस्वामी | 11. चैतन्य-भगवतम (आदि 14-16) | भक्तों पर कृपा

    भगवान की कृपा केवल उन्हीं को प्राप्त होती है जो प्रेम और समर्पण के साथ उनकी भक्ति करते हैं। श्रील प्रभुपाद ने समझाया कि जो भक्त निष्कपट हृदय से हरिनाम संकीर्तन करते हैं, सेवा में लगे रहते हैं, उन पर भगवान विशेष कृपा बरसाते हैं। "जो मेरी शरण में आता है, मैं उसे अवश्य ही अपने चरणों में स्थान देता हूँ।" – श्रीकृष्ण भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्ति का मार्ग अपनाएँ और हरिनाम का जाप करें।

  • संपूर्ण चैतन्य लीला | श्रील गौर कृष्ण दास गोस्वामी | 11. चैतन्य-भगवतम (आदि 14-16) | युवा लीलाएँ यात्रा – गया

    संपूर्ण चैतन्य लीला | श्रील गौर कृष्ण दास गोस्वामी | 11. चैतन्य-भगवतम (आदि 14-16) | युवा लीलाएँ यात्रा – गया

    श्री चैतन्य महाप्रभु की वृंदावन यात्रा ✨🙏 भक्तिविनोद ठाकुर ने अपनी अमृत-प्रवाह-भाष्य में उल्लेख किया है कि श्री चैतन्य महाप्रभु ने जगन्नाथ रथयात्रा में भाग लेने के बाद वृंदावन यात्रा का निश्चय किया। श्री रामानंद राय और स्वरूप दामोदर गोस्वामी ने उनके साथ जाने के लिए बलभद्र भट्टाचार्य नामक एक ब्राह्मण को चुना। 🌿 झारखंड के जंगल में हरि-नाम संकीर्तन महाप्रभु ने कटक (उड़ीसा) से आगे बढ़ते हुए घने जंगलों में प्रवेश किया। वहाँ उन्होंने शेरों, हाथियों और अन्य जंगली जानवरों को भी हरे कृष्ण महामंत्र का संकीर्तन कराया! 🦁🐘 ⚡ निर्वाह एवं साधना जहाँ कहीं कोई गाँव मिलता, बलभद्र भट्टाचार्य भिक्षा मांगकर चावल और सब्जियाँ लाते। यदि कोई गाँव न होता, तो जंगल से पालक आदि एकत्र कर पकाते। महाप्रभु इस सरल जीवन से अत्यंत प्रसन्न होते थे। 🌊 वाराणसी में प्रवेश और मणिकर्णिका घाट स्नान झारखंड के जंगल पार करने के बाद महाप्रभु वाराणसी पहुंचे और मणिकर्णिका घाट पर स्नान किया। वहाँ तपन मिश्र और वैद्य चंद्रशेखर ने उनकी सेवा की। इस दौरान, एक महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण ने उन्हें बताया कि प्रकाशानंद सरस्वती और अन्य मायावादी सन्यासी उनकी निंदा कर रहे हैं। इस पर महाप्रभु ने समझाया कि जो लोग कृष्ण नाम का उच्चारण नहीं करते, वे अपराधी हैं और उनसे संग नहीं करना चाहिए। 🌸 प्रयाग और मथुरा की यात्रा महाप्रभु प्रयाग और मथुरा पहुंचे, जहाँ उन्होंने माधवेंद्र पुरी के शिष्य, एक सानोडिया ब्राह्मण के घर प्रसाद ग्रहण कर उन्हें आशीर्वाद दिया। 🌿 वृंदावन की दिव्य अनुभूति जब महाप्रभु वृंदावन के बारह वनों में पहुंचे, तो वे परम भक्ति और प्रेम में मग्न हो गए। वहाँ उन्होंने तोतों और अन्य पक्षियों के मधुर स्वर सुने और उनकी भक्ति और प्रेम और भी बढ़ गया। 🔱 यह यात्रा केवल एक भौगोलिक यात्रा नहीं थी, बल्कि श्री चैतन्य महाप्रभु के प्रेम और भक्ति की अद्भुत लीलाओं का जीवंत प्रमाण थी। 🙏✨

  • संपूर्ण चैतन्य लीला | श्रील गौर कृष्ण दास गोस्वामी | 10. चैतन्य-भगवतम (आदि 14-16) | महाप्रभु का दूसरा विवाह और श्रील हरिदास ठाकुर की परीक्षा

    संपूर्ण चैतन्य लीला | श्रील गौर कृष्ण दास गोस्वामी | 10. चैतन्य-भगवतम (आदि 14-16) | महाप्रभु का दूसरा विवाह और श्रील हरिदास ठाकुर की परीक्षा

    श्री चैतन्य महाप्रभु की जीवन लीला अनेक महत्वपूर्ण घटनाओं से परिपूर्ण है। उनके जीवन में दूसरा विवाह और श्रील हरिदास ठाकुर की परीक्षा ऐसी ही दो घटनाएँ हैं, जो भक्ति, समर्पण, और भगवान की अपार करुणा का संदेश देती हैं। चैतन्य-भगवतम के 14वें से 16वें अध्याय में इन लीलाओं का सुंदर और विस्तृत वर्णन मिलता है।

  • संपूर्ण चैतन्य लीला | श्रील गौर कृष्ण दास गोस्वामी | 09. चैतन्य-चरितामृत (आदि 16), चैतन्य-भगवतम (आदि 11-13) | महाप्रभु की शिक्षा और केशव कश्मीरी का उद्धार

    संपूर्ण चैतन्य लीला | श्रील गौर कृष्ण दास गोस्वामी | 09. चैतन्य-चरितामृत (आदि 16), चैतन्य-भगवतम (आदि 11-13) | महाप्रभु की शिक्षा और केशव कश्मीरी का उद्धार

    श्री चैतन्य महाप्रभु का जीवन मात्र एक अद्भुत लीला नहीं था, बल्कि उनके जीवन के हर प्रसंग में भक्ति, ज्ञान, और दिव्यता का समावेश था। इस अध्याय में, महाप्रभु के शिक्षा जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन किया गया है, साथ ही उनके द्वारा केशव कश्मीरी के उद्धार की घटना का भी उल्लेख किया गया है। आदि लीला के सोलहवें अध्याय और चैतन्य भगवतम के ग्यारहवें से तेरहवें अध्याय में महाप्रभु की शिक्षा, उनके ज्ञान की प्रदर्शनी और केशव कश्मीरी का उद्धार विस्तार से वर्णित हैं।

  • संपूर्ण चैतन्य लीला | श्रील गौर कृष्ण दास गोस्वामी | 08. चैतन्य-चरितामृत (आदि 15), चैतन्य-भगवतम (आदि 8-10) | पौगंड बाल्य लीलाएँ एवं प्रथम विवाह

    संपूर्ण चैतन्य लीला | श्रील गौर कृष्ण दास गोस्वामी | 08. चैतन्य-चरितामृत (आदि 15), चैतन्य-भगवतम (आदि 8-10) | पौगंड बाल्य लीलाएँ एवं प्रथम विवाह

    श्री चैतन्य महाप्रभु की पौगंड अवस्था (8 से 10 वर्ष) की लीलाएँ उनकी अद्भुत विशेषताओं और दिव्य रूप को दर्शाती हैं। इस चरण में महाप्रभु ने बाल लीलाओं से बढ़कर कुछ और गहरी भक्ति की लीलाएँ प्रकट कीं, जो भक्तों के लिए प्रेरणादायक हैं। साथ ही, महाप्रभु का पहला विवाह भी इस समय हुआ, जो उनकी लीला के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में वर्णित है। आदि लीला के पंद्रहवें अध्याय और चैतन्य भगवतम के आठवें से दसवें अध्याय में महाप्रभु की पौगंड लीलाएँ और उनका प्रथम विवाह विस्तार से वर्णित हैं।